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How the engine works in vehicles – वाहनों में इंजिन कैसे काम करता है
इंजिन कैसे कम karata ha – नमस्कार, दोस्तों apna sandesh वेबपोर्टल पर स्वागत है, दोस्तों इंजिन के बारे में आप शायद जानते होंगे क्योंकि हम सभी अपने दैनिक उपयोग में वाहनों का उपयोग करते हैं. वह वाहन कैसे चलता है? और अगर वाहन अचानक बंद हो जाए
तो क्या करे और कैसे करे, वाहनों में इंजिन कैसे काम करता है [How the engine works in vehicles], वाहनों में इंजिन का कार्य [Engine work in vehicles], इंजिन का परिचय कैसे करे [Engine kaise kam karta hai], Engine ke prakar kitane hai, Petrol engine aur Diesel engine ka kary kya hai. सभी जानकारी आपके भाषा में आज के लेख में देखने वाले है.
दोस्तों हम आपको “Vahan ka Engine kaise kam karta hai” इस लेख के द्वारा हम उसके बारे मे सविस्तर जानकारी बताने वाले है. जो वाहनों के इंजिन और उसके हिस्से के बारे में उपयुक्त जानकारी है. तो आइये बिना देरी किये जानते है.
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वाहनों में इंजिन कैसे काम करता है [Engine kaise work karata hai] :
इंजिन एक वाहनों का ऐसा घटक है जो वाहनों को चलने में मदत करता है. इंजिन की वाहनों में महत्वपूर्ण भूमिका है. यह रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करता है. इस ऊर्जा का उपयोग वाहन को चलने के लिए किया जाता है. ईंधन जलाने के कई अन्य तरीके हैं, जैसे कि आंतरिक दहन [Combustion] या बाहरी दहन इंजन. इसमें से वाहनों में आंतरिक इंजन का उपयोग किया जाता है, और बाहरी दहन इंजिन इंडस्ट्रियल पावर प्लान्ट में उपयोग किया जाता है.
ऑटोमोटिव इंजिन को भी आंतरिक दहन इंजिन कहते है क्योंकि आंतरिक दहन इंजिन में इंजिन के अंदर बहुत अधिक मात्रा में (High Combustion) इंधन को जलाया जाता है.
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आतंरिक दहन इंजिन के मुख्य दो प्रकार आते है –
- रेसिप्रोकेटिंग इंजिन
- रोटरी इंजिन
देखिये दोस्तों रेसिप्रोकेटिंग इंजिन याने पिस्टन की गति ऊपर निचे और आगे पीछे जाना, लगभग ये इंजिन सभी वाहनों में उपयोग किया जाता है. इस प्रकार के इंजिन को पिस्टन इंजीन के नाम से भी जाना है. रोटरी इंजिन में स्पिन करने वाला या घुमाने वाला रोटर होता है. ये इंजिन का उपयोग रेसिंग कार या बाइक में होता
है.
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रेसिप्रोकेटिंग इंजिन के दो प्रकार होते है :
• स्पार्क इग्निशन इंजिन :-
इस इंजिन में ज्यादा तर अधिक तेजी वाले इंधन का उपयोग होता है. जिससे आसानी से भाप बन सकता है, जैसे पेट्रोल या गैसोलीन. इंधन के सिलेंडर में जाने से पहले इंधन और हवा का मिश्रण कार्बोरेटर में किया जाता है. जिससे इंधन को जलने में आसानी होती है. इसके बाद जलने योग्य मिश्रण को इग्निशन सिस्टिम से बिजली का स्पार्क दिया जाता है और इंजिन स्टार्ट होता है.
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• कॉम्प्रेशन इग्निशन इंजिन :-
इस इंजीन को डिझेल इंजिन के नाम से भी जाना जाता है. जो केवल इंजिन सिलेंडर में सुद्ध हवा प्रवेश करती है, जिसे अधिक तापमान और दबाव पर कॉम्प्रेस किया जाता है. इस हवा को इतना कॉम्प्रेस किया जाता है की उसका तापमान 5380 डिग्री से. अधिक पहुँचता है. उसके बाद डिझेल को इंजिन सिलेण्डर में स्प्रे कर के इंधन को जलाया जाता है. इस प्रक्रिया में डिझेल के इंजेक्टर के द्वारा छोटे छोटे और
बारीक़ कणों में रूपांतरित किया जाता है. इसलिए डिझेल इंजिन को कॉम्प्रेशन इंजिन के नाम से भी जाना जाता है.
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आतंरिक दहन इंजिन के अलग अलग हिस्से और उनका उपयोग :
सिलेंडर :-
आंतरिक दहन इंजीन एक इंजिन का मुख्य भाग है, जिसमे पिस्टन की गति पैदा होती है. इसे बहुत अधिक तापमान और दबाव सहन करना होता है (लगभग 2200 डिग्री) क्योंकि सिलेंडर के अंदर एक प्रत्यक्ष दहन प्रक्रिया होती है, जो तापमान को बढ़ाती है. इसलिए इसकी सामग्री ऐसी होनी चाहिए कि यह अपनी ताकत बनाए रखे. तो यह आम तौर पर साधारण कच्चा लोहा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन भारी शुल्क इंजन में मिश्र धातु ड्यूटी स्टील का उपयोग किया जाता है.
सिलेंडर हेड:-
यह इंजिन के ऊपरी भाग में होता है जिसे सिलेंडर हेड कहते है. इसमें इनलेट व्हॉल्व, एक्सस्ट व्हॉल्व और स्पार्क प्लग होता है. इनलेट व्हॉल्व से इंधन को इंजिन सिलेंडर में भेजा जाता है, और एक्सस्ट व्हॉल्व से कार्बन वायु को वातावरण में भेजा जाता है.
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Engine ke prakar
पिस्टन और पिस्टन रिंग [Piston and piston ring] :-
पिस्टन एक इंजिन का मुख्य भाग है जिसे हम इंजिन का दिल भी कह सकते है. जिससे इंजिन कार्य करता है. पिस्टन का कार्य इस प्रकार है जो सिलेंडर में कॉम्प्रेशन स्ट्रोक के दौरान मिश्रित इंधन को कॉम्प्रेस करके ताकद को कनेक्टिंग रोड तक
भेजना और पावर स्ट्रोक के दौरान क्रैंक तक भेजना होता है. पिस्टन की रिंग पिस्टन के बाहरी भाग में होती है. इससे पिस्टन और सिलेंडर के बिच की गैप में टाइट फिटिंग मिलती है.
पिस्टन रिंग में मुख्यत: तीन रिंग होती है.
- ऑइल रिंग,
- पिस्टन रिंग,
- प्रेसर रिंग,
कनेक्टिंग रॉड :-
दिए गए चित्र में आम तौर पर गोलाकार , टी , या एच, सेक्शन के आकर का होता है. इसकी मजबूती बढाने के लिए अधिक पॉलिस की जाता है. इसके छोटे सिरे पिस्टन के साथ जोड़े जाते है और बड़े सिरे क्रैंक पिन से जुड़े रहते है. इसमें छोटे सिरे के बेअरिंग से लेकर बड़े सिरे के बेअरिंग तक ल्युब्रिकेटिंग ऑइल भेजने के लिए रास्ता होता है.
क्रैंक और क्रैंक शाफ़्ट [Crank and crank shaft] -:-
तो देखिये दोस्तों क्रैंक और क्रैंक शाफ़्ट स्टील धातु से बने रहते है, जिसकी ढलाई चिकनी फिनिशिंग के साथ बनाए जाते है. इन दोनोको एक की के द्वारा जोड़े जाते है, क्रैंक शाफ़्ट को मुख्य बेअरिंग का सहारा दिया जाता है और उतार चढाव को एक सामान बनाने के लिए एक फ्लायव्हील नामक हैवी व्हील होता है. पावर स्ट्रोक के दौरान, ऊर्जा चक्का में जमा हो जाती है और जब क्लच संलग्न होता है, तो ऊर्जा को पहिया में भेजा जाता है।
कार्ब्युरेटर [Carburettor]:-
इसका कार्य इस प्रकार है की यह पेट्रोल इंजिन में इंधन और हवा को मिश्रित रूप में बनाकर एक समान पूर्ति करता है. सिलेंडर में जाने वाले मिश्रण को थ्रोटल व्हॉल्व के उपयोग से नियंत्रण किया जाता है.
स्पार्क प्लग [spark plug] :-
स्पार्क प्लग का कार्य इंजिन में इंधन का दबाव निर्माण होने के बाद पॉवर स्टॉक के पहले इग्नाइट करना है. जिससे इंधन जलता है और पॉवर तैयार होता है. स्पार्क प्लग को केवल पेट्रोल इंजिन में ही उपयोग किया जाता है.
फ्यूल इंजेक्शन पंप [Fuel injection pump] :-
यह डिझेल इंजिन में फ्यूल नोझल के जरिए से फ्यूल को उच्च दबाव देकर कॉम्प्रेशन स्ट्रोक के सिरे पर बल पूर्वक भेजता है.
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फ्यूल पंप [Fuel pump]:-
इसका कार्य यह है की इंधन को बारीक़ कानो में रूपांतरित करके सिलेंडर में भेजना है. जिससे इंधन जलने में मदत मिलती है.
टिप्पणी :- इन दिनों फ्यूल इंजेक्टर का उपयोग सभी आधुनिक वाहनों में किया जाता है. और स्पार्क इग्निशन इंजिन में भी किया जाता है.
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