Indian Flag ki Jankari. Tiranga kaise bandhe? structure of our indian flag. भारतीय ध्वज [Tiranga] बांधने का तरीका, jhanda kaise bandhe? Indian flag ka stucture kaise hai, झंडा (तिरंगा) पहराने का तरीका कैसे बांधे. Bhartiya Dhvaj ki Banavat kab aur kaise In Hindi, Hamare Bharat ke dhvaj ki banavat kaise hai?
हमारे भारतीय ध्वज की बनावट (संरचना) – The structure of our Indian flag
Bhartiy dhvaj ka structure: नमस्कार प्रिय पाठक, आज के लेख में हम भारतीय ध्वज को कैसे बांधें और अगर आप इसके बारे में Google पर सर्च कर रहे है तो आप सही लेख पढ़ रहे है.
जी हाँ दोस्तों आज हम इस लेख में Indian Flag [तिरंगा की बनावट] structure के बारे में जानेंगे, तो आइये जानते हैं कि, भारत के ध्वज (तिरंगा) का स्ट्रक्चर क्या है [What is the structure of India’s flag (tricolor)]? पूर्ण राष्ट्रगान [Full national anthem], इंडियन फ्लैग का महत्व [Importance of Indian flag] तो यह सभी जानकारी जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े.
भारतीय ध्वज का निर्माण कब और कैसे हुआ
मेरे प्यारे मित्र आप सभी को नमस्कार, हमारे पृथ्वी पर अन्य प्रकार के देश है. सभी देश वाशियो को अपने अपने देश के प्रति प्यार होता है. सभी देशो की पहचान राष्ट्रिय ध्वज से होती है. उसी तरह भारत में राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा है. [झंडा पहराने का तरीका – Indian Flag Fahrane ka Tarika]
इसीलिए हमें हमारे वतन के ध्वज के बारे में जान लेना चाहिए, क्या आप जानते है? सबसे पहले तिरंगा किसने फहराया, क्या आप जानते है? तिरंगा किसने बनाया, क्या आप जानते है? भारतीय तिरंगा किस व्यक्ति ने बनाया, और हमारे भारत का राष्ट्रगान किसने बनाया? तो दोस्तों आपको राष्ट्रिय झंडे, तथा झंडे को कैसे फरहाना और राष्ट्रिय गान क्या है यह जान लेना जरुरी है. तो चलिए दोस्तों हमे मिली जानकारी के आधार पर आपको इस आर्टिकल में अपने देश का ध्वज और राष्ट्रिय गान कैसे तैयार किया इसके बारे में बताने जा रहे है.
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हमारे भारतीय ध्वज की बनावट – The structure of our Indian flag:
दोस्तों, आप सभी अपने देश भारत में स्वतंत्र “15 अगस्त, 1947” में हुए, लेकिन दोस्तों आपको बता दे की उससे पहले भारत में, जिस झंडे को ज्यादातर लोग राष्ट्रीय ध्वज मानते थे, उसके तीन रंग होते थे. [Indian Flag का structure]
- पहिला रंग – केसरिया था,
- दूसरा रंग – सफ़ेद,
- और तीसरा रंग – हरा था,
हमारे भारतीय ध्वज की बनावट
इस झंडे के सफ़ेद रंग के पट्टी पर चर्खे की बनावट थी. इस झंडे को संघटित राजनीतिक दल काँग्रेस ने सन 1931 में अपनाया था.
भारत स्वतंत्र होने पर इस झंडे में परिवर्तन किया गया, और भारत के सविधान ने इसे स्वीकृत भी किया, इसमें सिर्फ सफ़ेद पट्टी के उपर बने चर्खे के जगह पर चक्र को स्थान दिया गया.
भारत स्वतंत्र होने पर परवर्तित झंडे को ”22 अगस्त सन 1947” में प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू जी के द्वारा फरहाया गया.
भारतीय राष्ट्र ध्वज की लम्बाई – चौड़ाई 3:2 में है, अर्थात लम्बाई अगर 1 ½ मीटर है तो चौड़ाई 1 मीटर और यदि लम्बाई 3 मीटर है तो चौड़ाई 2 मीटर दी गई है. रास्ट्रीय ध्वज की तीनो पट्टियों की चौड़ाई एक दुसरे से समान्तर होती है.
The structure of our Indian flag – भारतीय ध्वज की बनावट (रंगों का महत्व):
Indian Flag में सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है, इस केसरिया रंग का मतलब साहस और बलिदान है. बिच में सफेद रंग होता है, इस रंग का मतलब शांति और सत्य है. और सबसे निचे हरा रंग होता है जो निष्ठा और शौर्य अथवा विश्वास और प्रेम का प्रतिक है. इसके बिच सफेद रंग के पट्टी पर चौबीस तीलियों वाला चक्र है जो सम्राट अशोक ने शांति, अहिंसा, न्याय और धर्म के सिद्धांतो को अपने साम्राज्य में स्तापित किया था, यह चक्र उसी का सकेत देता है. इसलिए इसे अशोक चक्र के नाम से भी जानते है. (The structure of our Indian flag – भारतीय ध्वज की बनावट)
दोस्तों हमारा Indian Flag हमें साहसी बनाता है, हमें प्रेरित करता है की देश के प्रति निष्ठा और प्रेम भाव बनाए रखता है. हमें शांति और सचाई के रस्ते पर चलने की प्रेरणा देता है. हम कभी न हार माने, हमें अपने कार्य के प्रति आदर हो और सदभावना के साथ चौबीसों घंटे कार्यशील रहे यह बताता है.
The structure of our Indian flag – भारतीय ध्वज की बनावट (झंडे को फरहाना)
Indian Flag को फरहाने से पहले आपको इन बातो की मालूमात होनी चाहिए, झंडा फरहाते समय उसमे उपयोग होने वाले चीजो के बारे में जानना जरुरी है. [Rashtriy Flag Fahrane ka Tarika]
- झंडा जिस खम्बे या बल्ली पर फरहाया जाता है उसे ”ध्वज – स्तंभ” कहते है.
- ध्वज स्तंभ के उपरी हिस्से को ”स्तंभ -शिखर” के नाम से जानते है.
- स्तंभ – शिखर के निचे 5-6 से.मी. पर लोहे या लकड़ी की घिर्री लगी होती है.
- ध्वज स्तंभ पर जमीन से लगभग 1 ½ मी. की उचाई पर लोहे के हुक होते है जो एक दुसरे से विपरीत होते है.
- यह हुक साधारणतः एक दुसरे से 15 से.मी. के फासले पर होते है.
- ध्वज स्तंभ की लम्बी रस्सी या मोटी दोरी होती है जिसे स्तंभ – डोर कहते है. इस डोर के एक सिरे पर नेत्र गाठ और दुसरे सिरे पर गिल्ली होती है.
ध्वज को फरहाते समय सावधानी [Caution when flying the flag]
Indian Flag के उपरी हिस्से याने स्तंभ शिखर पर लगी घिर्री के भीतर से नेत्र गाठ वाली रस्सी याने स्तंभ – डोर निकल कर निचे की ओर लाए,
स्तंभ डोर के सिरों को बराबर कर नेत्र गाठ में गिल्ली डाल दीजिए, एसा करने से स्तंभ डोर के दोनों सिरे एक दुसरे के साथ फस जाएँगे. इन सिरों को फसाकर ध्वज – स्तंभ पर लगे हुको में अंग्रेजी की संख्या 8 के आकार में लपेट लीजिए.
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2. Time ke bare me jankari – समय के बारे में जानकारी
ध्वज को फरहाते समय सावधानी
किसी भी तरह के झंडे के उपरी किनारे (हिस्से) को शिखर और निचले किनारे को आधार कहते है. झंडे का जो किनारा ध्वज – सूत्र के साथ जुड़ा होता है और स्तंभ के पास होता है उसे उठान (HOIST) और जो किनारा स्तंभ के प्रे फरहाया करता है उसे उडान कहते है. उठान के उपरी भाग को शिखरकोण और निचले भाग को पदकोण तथा उडान के उपरी भाग को अग्र शिखरकोण और निचले भाग को अग्र पदकोण कहते है. (झंडा पहराने का तरीका)
ध्वज को किसी भी तरीके से प्रदर्शित या तेज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है.
14 अगस्त को समाचार पत्रों में प्रकाशित महाराष्ट्र सरकार के विज्ञापन के अनुसार प्लास्टिक के झंडे भी स्वीकृत नहीं हैं.
1. शिखर कोण
2. पद कोण
3. अग्र शिखर कोण
4. अग्र पद कोण
5. गिल्ली
6. ध्वज – सूत्र
7. नेत्र – सांठ
राष्ट्रिय गान (Full national anthem) :
जिस तरह देश का राष्ट्रिय ध्वज होता है उसी तरह राष्ट्रिय गान होता है. और राष्ट्रिय गान एक ख़ास राग से गाया जाता है. जिस तरह राष्ट्रिय ध्वज का सम्मान करते है, उसी तरह राष्ट्रिय गान का भी सम्मान किया जाता है. (The structure of our Indian flag – भारतीय ध्वज की बनावट)
भारत सन 15 अगस्त 1947 को आझाद हुआ उसके पहले वन्दे मातरम् को हम अपना राष्ट्रिय गान मानते थे. बकिम चन्द्र चैटर्जी लिखित वन्दे मातरम् हमारे देश के हजारो लोग गुलामी के समय गाते हुए सहीद हुए. देश के स्वतंत्र संग्राम में वन्दे मातरम् गाने का अपना ही एक महत्व था. लेकिन इस वंदे मातरम गीत को गाना बहुत मुश्किल था. इसलिए जब देश आझाद हुआ तब “जन – गन – मन” को राष्ट्रिय गान संबोधा गया. रविन्द्रनाथ टैगोर जी के इस गान का राग सरल था.
राष्ट्रिय गान
दोस्तों जन गण मन यह हमारे भारत का राष्ट्रगान है. इसे बंगाली में भारतमो भाग्य बिधाता के रूप में पोलीमथ रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था. साधु बंगाली या ततसमा बंगाली, जो उस समय साहित्य में ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता था, संस्कृत शब्दावली से प्रभावित था. भागो भाग्यो बिधाता गीत का पहला छंद भारत के संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था. राष्ट्रगान की औपचारिक प्रस्तुति में लगभग 52 सेकंड लगते हैं. तो आइये दोस्तों बड़े ही प्रेम भाव के साथ जानते है हमारे देश का पूरा राष्ट्रगान –
Full national anthem (संपूर्ण राष्ट्रीय गान)
- जन गन मन अधिनायक जय हे
- भारत भाग्य विधाता
- पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा
- द्राविड, उत्कल, वंगा
- विंध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा
- उच्छल जलधि तरंग
- तव शुभ नामे जागे
- तव शुभ आशीष मांगे
- गाहे तव जय गाथा
- जन गन मंगल दायक जय हे
- भारत भाग्य विधाता
- जय हे, जय हे, जय हे
- जय, जय, जय, जय हे…
Full national anthem
- अहरह तव आव्हान प्रचारित
- सुनी तव उदार वाणी
- हिन्दू, बौध्द, सिख, जैन, पारसिक
- मुसलमान, ख्रिस्तानी
- पूरब पश्चिम आसे
- तव सिंहासन पासे
- प्रेमहार हाय गाथा
- जनगणएक्यविधायक जय हे
- भारत भाग्य विधाता
- जय हे, जय हे, जय हे
- जय, जय, जय, जय हे…
Full national anthem
- पतनअभ्युदयबंधुर पंथा
- युग युग धावित यात्री
- तुम चिर सारथी तव रथचक्रे
- मुखरित पथ दिन रात्री
- दारुण विप्लव माजे
- तव शंखध्वनी बाजे
- संकट दू:खत्राता
- जनगणपथपरिचायक जय हे
- भारत भाग्य विधाता
- जय हे, जय हे, जय हे
- जय, जय, जय, जय हे…
Full national anthem
- घोरतिमिरघननिबिड निशीथे
- पीड़ित मुर्छित देसे
- जागृत छील तव अविचल मंगल
- नत नयने अनिमेषे
- दू:स्वप्ने आतंके
- रक्षा करीले अंके
- स्नेहमयी तुमि माता
- जनगणदू:खत्रायक जय हे
- भारत भाग्य विधाता
- जय हे, जय हे, जय हे
- जय, जय, जय, जय हे…
Full national anthem
- रात्र प्रभातिल उदिल रविच्छ्वी
- पूर्व उदयगिरि भाले
- गाहे विहिंगम पुण्य समीरण
- नवजीवन रस ढाले
- तव करुणारुण रागे
- निद्रित भारत जागे
- तव चरने नत माथा
- जय हे, जय हे, जय जय जय हे
- भारत भाग्य विधाता
- जय हे, जय हे, जय हे
- जय, जय, जय, जय हे…
सावधानी की बाते :
दोस्तों आप सभी को पता है राष्ट्रिय झंडे के साथ राष्ट्रिय गान का भी सम्मान किया जाता है. इसलिए सावधानी बरते, राष्ट्रिय गान या राग को किसी भी समय गाना या बजाना नही चाहिए, उसे विशेष समारोह के अवसर पर आदर के साथ सावधान स्थिति में खड़े होकर गाना चाहिए. किसी सिनेमा घरो, खेल के मैदान या पाठशाला और अन्य जगह पर जब राष्ट्रिय गान की सुरुआत हो तो उसे आदर और सम्मान देना जरुरी है. और जरुरी बात यह है की राष्ट्रिय गान को निश्चित राग में अन्य दुसरे गाने को नही गाना चाहिए क्योकि इस तरह से भी राष्ट्रिय गान का निरादार होता है.
Inspection supervision:
Overview:- The structure of our Indian flag – भारतीय (तिरंगा) ध्वज की बनावट (झंडा पहराने का तरीका) Name:- Indian Flag तिरंगा – (meaning “Tricolour”)
Use:- राष्ट्रीय ध्वज [National flag] Proportion:- 2: 3
Adopted:- 22 जुलाई 1947 Design:- केसरिया, सफेद और भारत के हरे रंग की एक क्षैतिज जनजाति; केंद्र में 24 प्रवक्ता के साथ एक नौसेना नीले पहिया के साथ डिझाइन किया गया है.
Designed by:- Pingali Venkayya
Official website:- https://mha.gov.in/documents/national-flag-emblem-anthem
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conclusion
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मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को यह लेख जरूर पसंद आया होगा, हमने अपनी तरफ से भारतीय ध्वज का निर्माण कब और कैसे हुआ के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है, फिर भी यदि इस बारे में जानकारी छूट गयी या मिस हो गई तो हमें कमेंट करके जरूर बताये, और दोस्तों आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके सूचित कर सकते हैं और दोस्तों इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे – सोशल मीडिया जैसे Facebook, Instagram, WhatsApp, Twitter पर शेयर करें और अन्य सोशल मीडिया पर भी शेयर करें…
जय हिन्द …..