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नमस्कार दोस्तों, apnasandesh.com पर आप सभी का स्वागत है. दोस्तों अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बेहद ही खास होने वाला है. क्योंकि आज के लेख में हम आपको एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं, जी हाँ दोस्तों एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल “पचमढ़ी” के बारे में जानकारी मिलेगी.
Pachmarhi darshan spot information – पचमढ़ी पर्यटन स्थल की जानकारी
पचमढ़ी दर्शन – Pachmarhi Darshan :-
दोस्तों, आपको पता होगा कि पचमढ़ी को मध्य प्रदेश का कश्मीर कहा जाता है, इसे सतपुड़ा की रानी, परोटोक का स्वर्ग, और सिटी ऑफ़ प्रोप्राइट्रेस आदि के रूप में भी जाना जाता है. इसे प्राकृतिक भव्यता के रूप में भी समझा जा सकता है. पचमढ़ी अपने प्राकृतिक और धार्मिक स्थानों के कारण पर्यटकों को विशेष रूप से मध्य प्रदेश में आकर्षित करता है.
Pachmarhi darshan
पर्यटकों के लिए आवश्यक सूचना :-
1. कोई भी स्थानों पर घूमने से पहले समय का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए,
2. जीप चालक या गाइड के मार्गदर्शन के अनुसार ही हमें चलना चाहिए, नहीं तो कुछ स्थान छुट सकते है,
3. कई स्थान जैसे की अप्सरा विहार, धुपगढ़, रजत प्रपात, या फिर बिफोल इन सबके लिए गेटपास भी बनाना पड़ सकता है,
4. कई स्थानों पर जाते समय अपने पास पानी, टिफिन आदि रखना चाहिए जैसे की, चौरागड़, डचेस्फोल इत्यादि,
5. श्वास, दमा या फिर गठिया से पीड़ित रोगी को यात्रा नहीं करनी चाहिए या फिर सावधानी रखे,
6. पर्यटक प्राथमिक उपचार के सामान अपने साथ थोडा बहुत लेके जाये,
7. आवश्यक कपड़े, मौसम के हिसाब से ही लेके जाये,
Pachmarhi darshan
जटाशंकर :-
दोस्तों जटाशंकर यह स्थान पचमढ़ी से १.५ किलोमीटर की दुरी पर है, यहाँ जाने के लिए पक्की सड़क का निर्माण किया गया है. तो भो वहा से १/२ किलोमीटर तक का सफ़र पैदल ही करना पड़ता है, पहाड़ो के बिच प्राकृतिक सौदर्य से बना यह स्थान बहुत ही शांत और शीतल स्थान है. ऐसा लगता है मानो खुद प्रकृति शिवुपसना में विलीन है, तभी तो इसे जटाशंकर नाम से जाना जाता है.
पांडव गुफा :-
दोस्तों पचमढ़ी से कुछ ही दूरी पर पांडव गुफा है, जो पचमढ़ी से दो से धाई से तीन किलोमीटर की दुरी पर है. यहापर पांच गुफा है, जो की पांच पांडव और पंचशील के आधार पर बौद्ध मठो का भी होना प्रमाणित करता है. कहा जाता है की इन गुफाओ में बौद्ध भिक्षु रहते थे और इन गुफाओ में बौध भिक्षु ध्यान केन्द्रित करते थे, इन दर्शन मात्रा से पर्यटकों के मन में उनके पूर्वजो की श्रध्दा पूर्ति होती है.
महादेव गुफा :-
दोस्तों, महादेव गुफा एक एसा स्थान है जो पर्यटकों को अपनी और खिचता है. यहाँ तक पहुचने का रास्ता तो पक्का है पर घुमाव घाटियों के कारण यहाँ बिना होश के गाड़ी चलाना खतरनाक साबित हो सकता है, यहाँ पर करीब ५० फीट लम्बी, चौड़ी, और ऊँची गुफाये है जिसमे प्रकृति की देन से यहाँ का जलकुंड हमेशा भरा रहता है. यहाँ पर महाशिव रात्री के समय बहुत बड़ा मेला लगता है. यह मेला तक़रीबन १५ दिनों तक चालू रहता है. इसलिए यहा पर्यटक अपनी आवश्यकता नुसार आते है.
धूपगढ़ :-
दोस्तों इस पहले दिन में सबसे महत्व पूर्ण और दर्शन स्थल धुपगड़ है. यहाँ सतपुड़ा का सबसे बड़ा शिखर है. यह समुद्र जमीन की सतह से ४४२९ फीट ऊँचा है, धुपगद में सुर्यास्त देखने के लिए यहाँ पर्यटकों का मेला रहता है. इस शिखर पर पहुचने के बाद मानो चारो और का दृश देखने के बाद बहुत ही सुन्दर आनंद आता है, सुर्यास्त के कुछ देर पहले.
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बिफोल :-
दोस्तों बिफोल एक जलप्रपात है. शहर से तीन किलोमीटर की दुरी पर यह झरना बहता रहता है. राजभवन से आगे एक कच्चा रास्ता है जो सातपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का एक चेक पोस्ट है, वहा से पैदल निचे की और जाता है. यही पर बिफोल या फिर झरना है, जिसका आनंद हर कोई छोटा बड़ा बुढा ले सकता है, और यहाँ का आनंद लेते हुए सम्पूर्ण दिन की थकावट दूर कर देता है.
राजेन्द्रगिरी :-
दोस्तों आपको मालूम ही होंगा की हमारे भारत के प्रथम राष्ट्रपती डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इनको यह स्थान काफी प्रिय था, यही पर घुमा फिर करते थे इसलिए इस स्थान को राजेन्द्र गिरी कहा जाता है. उनके व्दारा लगाये गए पेड़ पौधे अब काफी बड़े हो चुके है, यह स्थान शहर से ६ किलोमीटर की दुरी पर कच्चे पक्के रास्ते पर है. और यहाँ चारो और मनोरंजन लायक नजारा दिखाई पड़ता है.
अप्सरा विहार :-
अप्सरा विहार यह पचमढ़ी से ५ किलोमीटर की दुरी पर है, अत्यंत मनोरंजन यह स्थान है. यहाँ पर आने के लिए पांडव गुफाओ के पास से एक कच्चा पक्का रास्ता है जो जिप से भी जा सकते है या फिर पैदल चलकर प्राकृतिक झरने में नहाया भी जा सकता है, यहाँ पर १५ फीट से उपर पानी का झरना है जो निचे की और आता है.
पांचाली कुंड :-
दोस्तों हम आपको बता दे की पांचाली कुंड यह अप्सरा विहार के पहले आता है. और यहाँ पानी का झरना बहुत ही जोर से आने के कारण यहाँ एक कुंड बनता है, जिसे पांचाली कुंड कहा जाता है. यहाँ पर ऊँची नीची जगह और चढ़ाई उतार रहने के कारण जो पर्यटक यहाँ पहुचता है उसे बड़ा ही आनंद आता है. और यहाँ स्नान का लुप्त भी उठा सकते है.
चौरागढ़ :-
दोस्तो चौरागढ़ के बारे में आप ने सुना ही होंगा यह सबसे बड़ा और ऊँचा शिखर है. यहाँ चौरागढ़ और महादेव इनके साथ ही पर्यटक अपना सभी टाइम manage करते है, इसकी उचाई समुद्र सतह से ४३१७ फीट ऊँची है, और यह स्थान महादेव से ५ से ६ किलोमीटर पड़ता है. यहाँ पर पैदल ही जाना पड़ता है. मार्ग मे ११७५ सीढिया से रास्ता तय करना पड़ता है, यहाँ पहुचने पर बहुत सारे त्रुशुल रखे होते है यह त्रिशूल भगवान को अर्पित करते है, यहाँ त्रिशूल का अम्बार होता है.
नागव्दार :-
दोस्तों चौरागढ़, धुपगढ़, और महादेव की तरह ही यह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. यहा पर एक विशेष नागव्दार है, जीसे यहाँ के नागवंश आदिवासियोने प्रस्थापित किया है, यहाँ पर नागपंचमी का विशालकाय मेला लगता है, जिसमे महाराष्ट्र के लाखो पर्यटक आते है.
इस तरह आप निश्चित रूप से इस प्रकृति के मनमोहक नज़ारे का आनंद ले सकते है तथा मनोरम दृश्य देख सकते है। तो दोस्तों अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों तथा जरुरत मंद पर्यटकों को साझा करना ना भूलें और ऐसे ही रोचक लेखों के लिए हमसे जुड़े रहें, हमारी वेबसाइट WWW.APNASANDESH.COM के साथ, और अपना ज्ञान बढ़ाएँ.
धन्यवाद…
हसते रहे – मुस्कुराते रहे…
Author By :- Prashant Sayre Sir
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